
जीएसटी के 7 वर्ष – व्यापारियों के अनुभव और आगे का मार्ग” पर व्यापारी नेताओं और कर विशेषज्ञों का सम्मैलन
नई दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में “जीएसटी के 7 वर्ष – हितधारकों के अनुभव और आगे का मार्ग” विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसमें व्यापारियों, एमएसएमई, उद्योग प्रतिनिधियों और कर विशेषज्ञों सहित जीएसटी से जुड़े विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। बड़ी संख्यक में दिल्ली के प्रमुख व्यापारी संगठनों के नेता भी मौजूद रहे। कैट जीएसटी प्रोफेशनल ग्रुप के साथ संयुक्त रूप से इसी प्रकार से हर राज्य की राजधानी में आयोजित कर जीएसटी कर प्रणाली के विषय में सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा करेंगे
यह आयोजन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और दिल्ली जीएसटी प्रोफेशनल्स ग्रुप द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जिसे कैट के राष्ट्रीय महामन्त्री और दिल्ली से भाजपा सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने उद्घाटन किया। सम्मेलन का उद्देश्य पिछले सात वर्षों में जीएसटी की यात्रा पर विचार करना और हितधारकों द्वारा सामना की जा रही वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा करना था।
अपने मुख्य भाषण में, श्री प्रवीन खंडेलवाल ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एकीकृत करने में जीएसटी की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तथा कहा की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कर प्रणाली के सरलीकरण का काम लगातार चल रहा है किंतु यह भी सत्य है कि व्यापारियों को जी एस टी में विसंगतियों के कारण आए दिन अनेक समस्याओं का सामना करना पढ़ रहा गई।अनेक क्षेत्रों में छोटे व्यापारियों और उद्यमियों के लिए व्यापार करने में आसानी में अभी भी बाधाएं हैं। उन्होंने पेशेवरों और प्रतिभागियों के खुले विचार-विमर्श के लिए आभार व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि प्रमुख चिंताओं को केंद्रीय वित्त मंत्री और संबंधित सरकारी अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा।
सम्मेलन के संयोजक श्री नरेंद्र आहूजा और अध्यक्ष श्री सुशील के. वर्मा ने सरकार और कर विशेषज्ञों के बीच निरंतर संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि कानून ईमानदार करदाताओं को लाभ पहुंचाए और धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
सम्मेलन के दौरान उठाए गए प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित थे:
1. उच्च मूल्यांकन और अभियोजन शक्तियों का दुरुपयोग
2. संशोधित या सुधारित रिटर्न दाखिल करने में कठिनाइयाँ
3. रिफंड और जीएसटी पंजीकरण में देरी
4. जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना न होना 
5. अत्यधिक दस्तावेज़ीकरण और विशेष रूप से राज्य जीएसटी विभागों में प्रशिक्षण की कमी
6. बैंक खातों की मनमानी अटैचमेंट और पीएमएलए के प्रभाव
वक्ताओं ने सर्वसम्मति से कानून के निष्पक्ष कार्यान्वयन, अधिकारियों के उचित प्रशिक्षण और अपीलीय तंत्र में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। अदालतों द्वारा मामलों को अनावश्यक रूप से पुनः विचार के लिए भेजने से न्याय में देरी और राजस्व संग्रह पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की गई। 
सम्मेलन सकारात्मक नोट पर संपन्न हुआ, जिसमें श्री खंडेलवाल ने वर्ष में दो बार ऐसे हितधारक परामर्श आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने जीएसटी प्रशासन में रचनात्मक परिवर्तन लाने के लिए इन महत्वपूर्ण मुद्दों को उच्चतम स्तर पर उठाने के अपने संकल्प को दोहराया।
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